26 Feb 2021

buddh dhram बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म ( buddh dhram)

गौतम बुद्ध का जीवन  चरित्र  जिसने ब्राह्मण धर्म को सबसे भारी आघात पहुंचाया था, महावीर के प्रसिद्ध समकालीन गौतम बुद्ध द्वारा प्रारंभ किया गया था। नेपाल की तराई में कपिलवस्तु के शाक्य   जाति के शुद्धोधन के पुत्र थे। उनकी  माता   पाशर्वृत  कोलीय  कुल की राजकुमारी थी कपिलवस्तु से कुछ मील दूरी लुंबिनी ग्राम में 566  ईसा पूर्व मैं उनका जन्म हुआ था।   यह  स्थान आज सम्राट अशोक के रूमिंदेह  स्तम्भ पर 249  ईसा पूर्व अभिलेख है ,  सुशोभित है।  प्रसव पीड़ा से माता का देहांत हो गया  तू इनका पालन-पोषण इनकी मौसी गौतमी ने किया। इनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
बाल्यकाल से ही सिद्धार्थ में चिंतन प्रवृत्ति दयालुता के लक्षण दृष्टिगोचर होने लगी।   गौतम बुध का विवाह यशोधरा नामक सुंदर राजकुमारी से  हुआ।  अपनी आयु के 29 वें वर्ष  533  ईसा पूर्व सन्यासी जीवन द्वारा सत्य की खोज करने के लिए अपना घर छोड़ दिया। गृह त्याग  महाभिनिष्क्रमण  के नाम से प्रसिद्ध है।
निरंतर 6 वर्षों टकवे सन्यासी का जीवन व्यतीत करते रहे इस काल में उन्होंने दो ब्राह्मण आचार्यों के आश्रमों में अध्ययन किया।  एक   देना बुध पीपल के वृक्ष के नीचे   ट्रण  के आसन पर बैठ गए।  यहां उन्हें सहसा सत्य  के दर्शन  हुए  एवं ज्ञान प्राप्त हुआ।  उन्हें यहां प्रकाश  मिला की शांति  मैं ही है, उन्हें  उसकी खोज करनी चाहिए।  यही महान बुद्धत्व कहलाए। इस प्रकार अपनी आयु के 35 वें वर्ष में बुद्ध ने बुद्धत्व प्राप्त किया।  इसके बाद वे वाराणसी के समीप हाथ में हिरण कुंज मैं गए और अपना धार्मिक उपदेश दिया, जिसके परिणाम स्वरूप उनके पांच से शुरू हो गए।  कौशल नरेश प्रसनजीत एवं मगध नृपति बिंबिसार तथा अजातशत्रु मैं उनके सिद्धांतों को अंगीकार कर लिया और उनके शिष्यों गए उन्होंने  अपने अनुयायियों साधुओं का एक संघ स्थापित किया। 80 वर्ष की अवस्था में 486 ईसा पूर्व मैं उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में कुशीनगर वर्तमान कासिया मैं निवारण प्राप्त किया।  इस घटना को महापरिनिर्वाण  कहते हैं। वैशाख पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ इसी पूर्णिमा के दिन इन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ इनका निवारण भी वैशाख पूर्णिमा को ही हुआ विश्व इतिहास में ऐसा उदाहरण किसी अन्य जीवन में नहीं मिलता।

महात्मा बुद्ध के सिद्धांत गौतम बुद्ध ने कोई नवीनतम धर्म या  संप्रदाय स्थापित करने का प्रयास नहीं किया।
बुद्ध ने अपने अनुयायियों को चार आर्य सत्य का उपदेश दिया। यह सत्य निम्नलिखित थे  जैसे दुख ,दुख का कारण, दुख का दमन और दुख के शमन  का मार्ग
दूसरे शब्दों में उन्होंने बताया कि जीवन में कष्ट है,   इस कष्ट का मूल कारण है कारण को नष्ट करके इस कष्ट का निवारण किया जाता है।  कष्ट का कारण भौतिक वस्तु का सुख   भोगने की वासना  और   इच्छा।  यह तृष्णा  मानव की जन्म और मृत्यु  का कारण है।  जब  यह    तृष्णा  या जीवन का मोह   मनुष्य में नहीं रहता है, तभी आत्मा के लिए निवारण प्राप्त करना संभव हो सकता है, इस तृष्णा का इस प्रकार विनाश किया जाए, यही मनुष्य की अच्छा है।  बुद्ध  ने बताया  कि इस तृष्णा का विनाश लिए आश्तागिक मार्ग  के अनुकरण से ही हो सकता है

सत्य दृष्टि या विश्वास ,  इन चार  सत्य का बुद्ध ने अपने प्रथम धर्म उपदेश मैं वर्णन किया है उनका ज्ञान और उनमें विश्वास और  श्रद्धा

सत्य भाव।  इसका अर्थ यह है कि हमें विलासिता की वस्तुओं को त्याग देना चाहिए एवं किसी से ना  तो किसी से ईर्ष्या या द्वेष रखना चाहिए और ना दूसरों को कष्ट पहुंचाना चाहिए।




 बौद्ध धर्म की महासभा और धार्मिक ग्रन्थ -  जब अपनी मृत्यु पर थे उन्होंने अपने पैसे से आनंद से कहा था कि जिस संघ की स्थापना की है क्या नियमों को मेरे देहांत की  बाद तुम सब के लिए शिक्षक होने दो।  अतः बुद्ध की मृत्यु के थोड़े समय पश्चात ही बौद्ध धर्म की प्रथम महासभा 446 ईसा पूर्व  राजगृह के समीप सतपनी गुहाओं  मैं धर्म  धर्म सिद्धांतों एवं  विनय  संघ के नियमों  के संकलन के हेतु हुए  थी।  विभिन्न स्थानीय संघ के  500  भिक्षुगण  प्रतिनिधि के रूप में इस में भाग लेने के लिए एकत्र हुए।  उन्होंने प्राथमिकता से बुद्ध के उपदेशों को दो भागों में विभाजित कर दिया   विनय पिटक  और  धम्मपिटक।  कुछ शताब्दी बाद,  लगभग 90 शब्दों में इन्हें लंका में पाली भाषा  में लिपिबद्ध के दिया।


 




25 Feb 2021

giloy

Giloy    (गिलोय)

गिलोय एक औषधि दवा है और यह प्राकृतिक दवा है यह जंगलों और घर पर लगाई जाती है।
 गिलोय के पेड़ को कैसे पहचाने 

गिलोय की लग होती है जो पेड़ों में चिपकी होती है यह  हरी कलर की होती है  और बेल इसकी लंबी होती है
अधिकतर  गिलोय जंगलों में मिल जाती है पर इसे पहचानना कठिन होता है क्योंकि इसके जैसे कई  बेल होती  हैं।

गिलोय से होने वाले लाभ 

गिलोय से अनेक फायदे होते हैं जैसे
विटामिन ए बी सी की कमी को  गिलोय से दूर दूर किया जाता है ।  गिलोय में  विटामिन ए बी सी  पाया जाता है।

 खासी  जुखाम  नागलोई का  काढा पिया जाता है  
गिलोय का प्रयोग जुखाम को दूर करने में  किया जाता है।  जब गले में कफ जम जाए तो गिलोय का काढ़ा पीना चाहिए इससे  कफ  जल्दी निकल जाता है  और गला  साफ हो जाता है।  इसलिए  लोग गिलोय का प्रयोग करते हैं।

प्लेटो को बड़ाने  में सहायक   जब हमारे शरीर में प्लेटो की कमी हो जाती है तो  गिलोय का काढ़ा पीना चाहिए  गिलोय  प्लेटो की संख्या  बढ़ा देती है।







मोटपा घटाने में गिलोय सहायक होती है
गिलोय का काढ़ा पीने से वजन घटता है रोज सुबह आकर अगर लोहे का कड़ा पिए तो इससे से मोटापा घटता है।

खून बढ़ाने में सहायक होती है गिलोय
गिलोय का पानी पीने से  हमारे खून में वृद्धि होती है और यह खून को साफ भी करती है।

क्या गिलोय के साइड इफेक्ट है
कोई साइड इफेक्ट नहीं पड़ता है  गिलोय से ये एक औषधि है इससे हमेशा लाभ भी मिलता है आजकल  गिलोय एक चर्चित औषधि है।

गिलोय कहा से मिल सकती है
गिलोय  हमें  ऑनलाइन मार्केट जैसे ऐमेज़ॉन फ्लिपकार्ट   से भी खरीद सकते हैं।
पतंजलि से भी हम गिलोय खरीद सकते हैं।  अगर आप में रहते हैं तो  आपको   गिलोय    जंगल आसपास के क्षेत्र में आसानी से मिल सकती है।

Giloy juice benifit  गिलोय के जूस के लाभ


गिलोय के जूस पीने के फायदे अनेक है  क्योंकि आपको आसानी से उपलब्ध हो जाता है ।  जूस पीने से वजन घटता है और सर्दी जुकाम भी नहीं लगता , खून में  वृद्धि होती है।  गिलोय का जूस आसानी से मिल जाता है ।
पतंजलि गिलोय का जूस सबसे अच्छा है सबसे अच्छा है क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं है ओर प्राकृतिक है पूरी तरह।

गिलोय की बेल कैसे लगाएं
गिलोय की बेल एक  गमले में भी लगाई  जा सकती है और बालकनी में ।  इतनी कटिंग लगाई जाती है लगाई जाती है बरसातों में।


13 Feb 2021

प्राचीन भारत में भूमि स्वामित्व

प्राचीन भारत में भूमि स्वमित्व ओर भूमि के प्रकार

कृषि योग्य  भूमि के स्वामित्व के विषय में  विद्वानों   तीन मत है कि प्रत्येक भूमि खंड का स्वामी  वह  किसान होता है जो उस पर खेती करता था।  कुछ अन्य विद्वान कहते हैं कि खेतों की स्वामी  ग्राम ए पूरे निवासी होते थे। कुछ अन्य विद्वान कहते हैं कि भारत में सदा से ही भूमि  स्वामी वह शासक  होता था जिस पर वह राज्य करता था।


व्यक्तिगत विशेष का    स्वामित्व
रामशरण शर्मा का मत है कि भूखंड का स्वामी रिग वैदिक काल में व्यक्तिगत विशेष ना होकर पूरा कबीला होता था। इसलिए केवल    वंश अनुमति से ही कोई  व्यक्ति भूखंड को अन्य व्यक्ति को दे सकता था परिवार के व्यक्ति मिलकर खोकन पर खेती करते थे।
ऋग्वेद में खेतों के नापी जाने और खेत के युद्ध में जितने का वर्णन मिलता है।   अपाला ने अपने पिता के खेत का स्पष्ट किया है।
उपनिषद में स्पष्ट है कि एक भूमि खंड का  स्वामी एक व्यक्ति समझा जाता था उदाहरण के लिए     संहिता में लिखा है यदि एक व्यक्ति का प्रेम पड़ोसी से भूखंड के विषय में झगड़ा हो तो उसे 11  थिकरो   इंद्र और अग्नि   आहुतियां   देनी चाहिए।
शतपथ ब्राह्मण में भूखंड के बेचने का विरोध किया गया है इससे भी  भूखंडों के अलग-अलग स्वामी होते थे।
प्राचीन बौद्ध साहित्य में  खेत पति, खेत्समित, वाथपती शब्द प्रयुक्त किए गए हैं   जिससे स्पष्ट होता है की भूखंडों के अलग-अलग स्वामी होते थे, अलग-अलग स्वामी के खेतों को अलग करने के लिए सीमाएं बनाई जाती थी। यदि कोई व्यक्ति   दूसरों  के खेत में सुधार भी करता है  तो उसका स्वामित्व खेत पर नहीं माना जाता था।
विनय पिटक से स्पष्ट है कि इस काल में भूखंडों को भेजा जाता था और गिरवी रखा जाता था। प्राचीन बौद्ध धार्मिक साहित्य से  स्पष्ट है कि जिस प्रकार पशु आदि चल और मकान आदि अचल संपत्ति पर किसी व्यक्ति का स्वामित्व माना जाता था,   उसी प्रकार  भूखंड  पर भी इसका स्वामित्व माना जाता था।
प्रारंभ में जंगल को साफ कर खेती करता था वही उस भूखंड का स्वामी माना जाता था।

प्राचीन काल में दूसरे व्यक्ति के भूखंड   की चोरी का वर्णन भी मिलता है।  मौर्य काल में अधिकतर मैं अधिकतर किसान भू राजस्व खो देते थे। उस समय कोई बिजोलिया नहीं होता था।
अगर बात करें तो प्राचीन जैन साहित्य  पांचवी ई  तक पता नहीं किया गया था किंतु उसमें भी भूखंडों की स्वामी की विषय में अनेक उदाहरण मिलते हैं।
कौटिल्य ने भूमि की बिक्री के संबंध के मुकदमे के संबंध में कि स्वामी का उल्लेख किया है उसने लिखा है कि एक व्यक्ति खेत के स्वामी की अनुमति के बिना अपने पशु उसके खेत में होकर निकाला रहा था।
अर्थशास्त्र  में  सीमा संबंधी का उल्लेख है दूसरे के खेत पर के लिए कुआं या नाली आदि बनाने की नियम दिए हैं। इससे स्पष्ट होता  है खेत का एक स्वामी होता था। अटल जी ने किन को बेचने और गिरवी रखने के लिए दिए हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे के गेट पर जबरदस्ती अधिकार कर ले तो  उसकी दंड का भी उल्लेख किया गया है।
मनु के अनुसार खेत का स्वामी वह व्यक्ति होता है जिसने जंगल साफ कर उस भूमि को कृषि योग्य बनाया हो।
मनु स्मृति में लिखा है कि राजा एक, दस  बीस ओर एक हजार  गांव का राजस्व या  राज कर्मियों को कुछ भूखंड दे सकता था। 
नासिक की गुफा की एक अभिनीत से ज्ञात होता है कि पास अपने कुछ बच्चों को वस्त्र दान में देने के  लिए एक खेत में दान दिया था।
प्रारंभ में जंगल साफ करके एक व्यक्ति खेती करता था वह उस भूखंड का स्वामी माना जाता था किंतु जब कृषि योग्य भूमि की मांग बढ़ी तो केवल खेत पर अधिकार होना ही प्राप्त ना समझा गया घर पर भी आवश्यक माना गया। दिव्यावदान  ने ऐसे अनेक किसानों का उल्लेख है जो   बड़े परिश्रम  से अपने  खेतों पर करते थे।
गौतम और मनु के अनुसार का प्रयोग अपनी इच्छा अनुसार कर सकता था । बहुत से भेज सकता था, दान में दे सकता था ओर  गिरवी रख सकता था।
मीमांसा सूत्र के टीका कार सबर स्वामी के अनुसार  राजू को उपज  का एक भाग लेने का अधिकार है की फसल की रक्षा करता है। सब व्यक्तियों का भूमि पर उसी प्रकार स्वामित्व हो सकता है जैसे राजा का।

राजा को भूमि पर स्वामित्व
प्रारंभ में भूमि पर  पूरे  कबीले का स्वामित्व समझा जाता था रिग वैदिक काल के आरंभ में  कबीले का नेता राजा कहा जाता था इसलिए के लिए गोप और गोपति शब्द का उल्लेख हुआ है। उसे भूपति नहीं कहा गया है। पहले मनु ने राजा को महिपति या भूपति कहां है। इसका अर्थ यह है कि राजा को पृथ्वी का स्वामी नहीं माना जाता था
परंतु ऋग्वेद में स्वामी अलग अलग होने का वर्णन है प्रारंभ में राजा को पूरे गांव का स्वामी इसलिए माना गया क्योंकि वह समुदाय विशेष का अध्यक्ष होता था राजा और समुदाय के अधिकार का विभाजन हुआ राजा जी कुछ विशेषाधिकार माने जाने लगे।
यद्यपि भूखंड का स्वामी एक व्यक्ति समझा जाता था राजा पृथ्वी की रक्षा करता है भूमि प्रति प्रति प्रति आदि कह लाता था। अतः राजा को भी आंशिक रूप से पृथ्वी का स्वामी समझा जाता था। मनु ने भी इसी प्रकार के विचार व्यक्त किए है।
अर्थशास्त्र में दो प्रकार की कृषि योग्य भूमि का उल्लेख है। एक वह  भूमि इसमें राजा के अपने खेत होते थे और  दूसरी   वह भूमि राजा को राजस्व प्राप्त होता है। पहले प्रकार की खेतों से जो आय प्राप्त होती थी कौटिल्य ने सीता शब्द का प्रयोग किया है भू राजस्व विभाग शब्द के अंतर्गत किया गया है  कृषि के  अधीक्षक  के द्वारा जो आय प्राप्त होती थी उसे ही  सीता कहां गया।
130 ई के पश्चिमी   दक्षिणा पथ के सातवाहन अभिलेख से ज्ञात होता है राजा बंजर भूमि के टुकड़े को खेती करने के लिए कुछ बौद्ध भिक्षु को दिया था ऐसी दशा में यदि ई वाला व्यक्ति दान में प्राप्त भूखंड खेती ना करे तो उसे  राजा स्वयं  उसे वापस ले सकता था। यह राजा केवल दान देने के लिए ही भूमि खंड खरीद सकते थे ।
बृहस्पति ने लिखा है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में राजा एक  व्यक्ति  का दूसरे व्यक्ति को दे सकता था। परंतु उसके अनुसार भी राजा को किसी व्यक्ति के कन्नू को आ कारण उसे व्यक्ति को नहीं देना चाहिए।
अर्थशास्त्र में स्पष्ट लिखा है कि जिस भूमि खंड के स्वामित्व के विषय में झगड़ा हो और झगड़े वाले दोनों पक्ष या ग्राम वृद्ध ना कर सके तो उस भूखंड का स्वामी राजा होता था।  यदि कोई भूखंड के स्वामी का कोई वंशज ना हो तो स्वामी की राजा होता था। अर्थशास्त्र में यह भी नियम दिया है कि जब कभी किसी भूखंड की नीलामी द्वारा विक्री हो तो राजा को उस पर  उपकार लेने काअधिकार लेन है।
राजा  भूमि के स्वामी से जो भू राजस्व लेता था उसे भाग कहा जाता था। इस शब्द से स्पष्ट है कि खेती योग्य भूमि पर राजा का आंशिक स्वामित्व माना जाता था। राजा चिंताओं को दान में देता था भू राजस्व प्राप्त करने वाले व्यक्ति को मिलता था।  परंतु दान पाने वाला व्यक्ति यदि दान पत्र की शर्तों को पूरा ना करें तो  दान में दिए  गांव को वापस लेने का अधिकार राजा का होता था।
मनु स्मृति में लिखा है दबे हुए जो खजाने मिली और  खजानो में प्राप्त वस्तुओं में राज्य का एक ख्वाब होता था।
मेगस्थनीज के आधार पर  स्टेबो  ने लिखा है कि भारत में सभी भूमि राजा की होती थी अन्य व्यक्ति भूमिका स्वामी नहीं हो सकता था।

कृषि योग्य भूमि पर सामुदायिक स्वामित्व

उत्तर वैदिक साहित्य से पता चलता है कि बिना विश की अनुमति  के  भूमि अपनी व्यक्ति को नहीं दी जा सकती थी। इससे यह पता चलता है कि उस समय भूमि का स्वामी विश्  होती थी व्यक्ति विशेष।
जिस प्रदेश में बौद्ध धर्म का उदय हुआ वहां ग्राम के समुदाय कृषि योग्य खेती के स्वामी माने जाते थे।
स्ट्रबो  के अनुसार    पंजाब  में  कुछ   कबीलो  के परिवार मिलकर  खेती करते थे  जब फसल कट जाती थी तो  प्रत्येक व्यक्ति अपने वर्ष  भर  के निर्वाह के लिए नाच ले जाता था। परंतु अर्थशास्त्र में  सामुदायिक   स्वामित्व   का  स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
बंगाल की पांचवी तथा छठी शताब्दी   ताम्र    लेख ज्ञात होता है कि जब कोई व्यक्ति भूमि खंड खरीद कर   दान में चाहता है  तो  उसे  भक्ति प्रशासकीय अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देना ही होता था साथी  ही  साथ ग्राम के    वृद्ध को भी प्रार्थना पत्र देना होता था। इनमें तीन प्रकार की भूमि का उल्लेख है कृषि योग्य, मकान बनाने योग्य,  और  परती । एक अभिलेख में लिखा है कि बिक्री मूल्य का छठा भाग सरकार को मिलेगा।
कुणाल जातक से ज्ञात होता है कि  शाक्य ओर  कोलियो  के सामुदायिक खेत थे।  सामुदायिक खेतों के स्वामी कुछ राजकुल होते थे। उन्होंने खेती का निरीक्षण करने के लिए कुछ अधिकारी नियुक्त किए थे।
भूमि के प्रकार

वैदिक साहित्य में तीन प्रकार की भूमि का उल्लेख मिलता है  मकानों की भूमि, कृषि योग्य और चारागाह  ऋग्वेद  के  दो  सुक्तो से स्पष्ट है की मकानों को  स्वामियों की निजी संपत्ति समझा जाता था। इन दोनों रूपों में मकानों का स्वामी  अपनी रक्षा और समृद्धि के लिए प्रार्थना करता है।   एक दूसरे सूट में  जुआरी  सब कुछ खोकर दूसरे के मकान में शरण लेता है और दूसरे की अच्छी मकान देख कर उससे बहुत दुख होता है।  छांदोग्य उपनिषद में भी मकानों का निजी संपत्ति के रूप में वर्णन किया गया है।
ऋग्वेद के एक अन्य सूत्र  से ज्ञात होता है कि  गांव यह सभी पशु   ग्वाले को चराने के लिए दिए जाते थे।  इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि चारागाह में अपने पशु धार गांव की सभी निवासियों को था और   चारागाह    को सबकी  सम्मिलित संपत्ति समझा जाता था
अमरकोश में 12 प्रकार की भूमि का उल्लेख है  उपजाऊ(उर्वरा) , बंजर ( ऊऊसर)  रेगिस्तान (मरू), परती  (अप्रहत) ,  घास के मैदान (शादावल), कीचड़(पंकिल),  पानी भरी(जल प्राय मनुपाम) , पानी के निकट  की(कच्छ),  कंकरीली(शार्कला) ,  रेतीली,  नदी से सिंची  जाने वाली  वर्षा के जल से सिंची  जाने वाली।



11 Feb 2021

आंग्ल मैसूर युद्ध और अंगल सिख युद्ध


  आंगल मैसूर युद्ध

मैसूर मैसूर में हैदर अली के बढ़ते प्रभाव तथा दक्षिण भारत की राजनीति में अपनी प्रभावी भूमिका के कारण अंग्रेजों ने  मैसूर राज्य पर हस्तक्षेप का निश्चय किया ।
इस प्रकार प्रथम आंगल मैसूर युद्ध 1767-1769 में  अंग्रेजों की आक्रमक नीति का प्रमाण था हैदर अली मैसूर के शासक अंग्रेजों से युद्ध करने दक्षिण के अन्य दो प्रमुख शक्तियां मराठी तथा निजाम से संधि कर एक संयुक्त मोर्चा बनाया  युद्ध के दौर में निजाम ने विश्वासघात किया और वह अंग्रेजों के पक्ष में चला गया  मराठे  तटस्थ रहे फिर भी हैदर अली ने अंग्रेजों को पराजित किया फल स्वरूप 1769  ईस्वी में मद्रास की संधि शांति स्थापित हुई पक्षों ने एक दूसरे के जीते हुए  क्षेत्र वापस कर दिए।

1773 ईस्वी में अंग्रेजों ने मैसूर स्थित माहे  फ्रांसीसी क्षेत्र पर अधिकार कर रवि को फिर से चुनौती दी हैदर अली ने 1780  में कर्नाटक पर आक्रमण कर 
द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध प्रारंभ किया  ।

1780-1782 दूसरा मैसूर युद्ध
1782 में हैदर अली ने अंग्रेजी सेना को पराजित कर दिया घायल हो गया मैं तो 7 दिसंबर 1782में उसकी मृत्यु हो गई, उसकी मृत्यु के पश्चात उसके पुत्र टीपू ने युद्ध जारी रखा टीपू ने युद्ध के दौरान अंग्रेजी सेना के ब्रिगेडियर मैथ्यूज को 1783  1783 में  बंदी बना लिया, अथवा 1784 में दोनों पक्षों  में  मंगलौर  संधि हो गई दोनों ने एक दूसरे के क्षेत्र वापस कर दिए। परंतु दोनों पक्षी युद्ध का पद करते रहे  अंततः 

तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध 1790 से  1792 तक।

1792 में लॉर्ड कॉर्नवालिस ने टीपू को श्रीरंगपट्टनम स्थित किले में   घेरकर  संधि के लिए विवश कर दिया परिणाम स्वरूप मार्च 1792 में  श्रीरंगपट्टनम की संधि संपन्न हुई जिसने अपने राज का आधा भाग अंग्रेजों को देना पड़ा युद्ध के हर्जाने के रूप में तीन करोड़ रूपए  देने के लिए विवश किया गया तथा रुपए चुकते  होने तक पुत्रों को अंग्रेजों ने बंधक बना दिया।  टीपू की व्यवस्था अंग्रेजों की महत्वाकांक्षा के कारण संघर्ष हो गया जो संघर्ष चतुर्थ  मैसूर युद्ध 1799   कह लाता है इस अंतिम युद्ध में पुणे अंग्रेजी सेना का सामना किया और वह युद्ध में वीरगति प्राप्त हो गया। मैसूर में अंग्रेजों का   शासन लागू हो गया।

अंग्रेजों ने की गद्दी परअंग्रेजों ने की गद्दी पर पुनः  आड यार वंश के बालक कृष्ण राज जो की आयु का था को अपने संरक्षण में प्रतिस्थापित किया तथा  कनारा,  कोयंबटूर और श्रीरंगपट्टनम को  अंग्रेजी साम्राज्य में शामिल कर लिया।







अंगल-सिख युद्ध

सिख     सिख  शक्ति एक संगठित शक्ति के रूप में भारतीय मानचित्र  रणजीत  सिंह के नेतृत्व में उभरी,1805  इसवी तक रणजीत सिंह ने अमृतसर एवं  जम्मू पर भी अधिकार कर लिया  इस प्रकार पंजाब की राजनीतिक राजधानी लाहौर  धार्मिक राजधानी अमृतसर दोनों पर  रणजीत सिंह प्रभुत्व स्थापित था।  नेपोलियन बोनापार्ट की बढ़ती शक्ति एवं फ्रांस और  रूस की मित्रता  के   कारण अंग्रेज उत्तर-पश्चिम सीमा को  असुरक्षित रहे थे।  अतः  उन्होंने 25 अप्रैल 1809 ई  को रणजीत सिंह के साथ अमृतसर की संधि कर ली, जिसकी  मुख्य  व्यवस्था की  सतजल नदी दोनों राज्यों के बीच एक सीमा मान ली गई। 1823 ई  तक रणजीत सिंह और अंग्रेज दोनों अलग अलग  क्षेत्र में राज्य विस्तार करते रहे तथा अंग्रेजों ने उसके जीवित रहते जॉब पर आक्रमण नहीं किया। 1839 ई रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई, अगले 4 वर्षों में  अयोग्य उत्तराधिकारी,( खड़क सिंह  नौनिहाल सिंह, शेर सिंह)  गद्दी पर बैठे मुझसे पंजाब में अव्यवस्था उत्पन्न हो गई। 1843  में महाराजा रणजीत सिंह का अल्पायु पुत्र दिलीप सिंह राजमाता   झिंदन  के संरक्षण में  सिहासन  पर बैठा।दिलीप सिंह के समय अंग्रेजों ने पंजाब पर आक्रमण किया परिणाम स्वरूप प्रथम  अंगल सिख युद्ध हुआ

प्रथम अंगल- सिख युद्ध   1845 से 1846 तक के  समय अंग्रेजी सेना ने लाहौर पर अधिकार कर लिया लॉर्ड हार्डिंग गवर्नर जनरल लॉर्ड  तथा हुगफ  इस समय भारत में  प्रधान  सेनापति थी। अंग्रेजी  सेना ने सर हुगफ  नेतृत्व में 13 दिसंबर 1845  को  मुदकी  में लाल सिंह  के नेतृत्व वाली सिख  सेना को पराजित   किया। सिख  सेनाओं को क्रमशः  फिरोज शाह, ओलीवाल, सोवराव में   पराजित होने के बाद अंग्रेजों के साथ लाहौर की संधि करने के लिए विवश होना पड़ा। लाहौर की संधि के  8 मार्च 1846 अनुसार
1  सिखों ने  सतजल  नदी के दक्षिणी और के सभी प्रदेश अंग्रेजों को  सौंपे।
2   सिखों ने डेढ़ करोड़ रुपए  हर्जाना  देना स्वीकार किया।
3    सिखों ने सेना मेंकटौती कर 20,000 पैदल सेना 12000 घुड़सवारी तक सीमित किया।
4  एक ब्रिटिश  रेजिडेंट को लाहौर में  नियुक्त किया।

लाहौर संधि के पश्चात अंग्रेजों ने पंजाब से कश्मीर को पृथक कर रुपए में गुलाब सिंह को बेच दिया। 16 दिसंबर 1846 ई  को   भैरोवाल किस संधि द्वारा दिलीप सिंह के वयस्क होने तक ब्रिटिश सेना का लाहौर में रहना आवश्यक कर दिया। राजमाता  झिंदन  को 48000 की वार्षिक पेंशन  पर शेखपुरा भेज दिया तथा लाहौर का प्रशासन 8  सिखो   सरदार एक परिषद को सौंप दिया गया। इन समस्त कार्यवाही से सिख  सेना औरअन्य प्रभावशाली सिख नेता  अपमानजनक  तथा   क्रोधित हुए जिसके फलस्वरूप द्वितीय आंग्ल सिख युद्ध 1848 से 1849 तक हुआ। 

दूसरा अंगल- सिख युद्ध 1848 से01849तक  13 जनवरी 1849 में    सेनानायक शेर सिंह ने   लॉर्ड हुगफ  अंग्रेजी सेना नायक को कड़ी टक्कर दी * 21 फरवरी 1849 के गुजरात युद्ध में  चार्ल्स नेपियर   ने सिखों को पराजित कर दिया, इस युद्ध के जीतने के पश्चात लॉर्ड डलहौजी ने 1849 इसी को आपका अंग्रेजी राज्य कंपनी के अंतर्गत   विलय कर लिया। राजा दिलीप सिंह को अंग्रेजों ने पांच लाख रुपए  वार्षिक पेंशन पर रानी झिंदन  के साथ इंग्लैंड भेज दिया।

7 Feb 2021

उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा तिथि

उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा तिथि
उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा तिथि  4 मई से 22 मई  तक
उत्तराखंड शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा की तिथि घोषित कर दी है उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा दो   पालियों में कराई जाएगी
3 अप्रैल से 25 अप्रैल तक हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षाए कराई जाएगी
हाईस्कूल की परीक्षाएं सुबह 8:00 बजे से 11:00 बजे तक कराई जाएगी और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं  2:00 बजे से लेकर 5:00 बजे तक कराई जाएगी
परीक्षा के लिए 1347 केंद्र बनाए गए है और    मास्क पहनकर परीक्षाएं कराई जाएगी
1 जून से परीक्षा का मूल्यांकन कर दिया जाएगा और 15 जुलाई को परीक्षा फल घोषित कर दिया
बोर्ड परीक्षा के लिए शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे   ने निर्देश दिया है कि सभी   स्कूल कोसैनिटाइजर  और उचित दूरी का पालन   करना होगा और सभी छात्रों को  मास्क पहनकर परीक्षा देनी होगी और सभी परीक्षा केंद्र को   सैनिटाइजर करना होगा और सभी को नियम का  पालन करना होगा।



6 Feb 2021

Uttrakhndh Gk in hindi

Uttrakhndh Gk ( उत्तराखंड सामान्य ज्ञान)







 1.उत्तराखंड का दुर्योधन किसे कहा जाता है?
कीर्ति शाह

2. उत्तर की द्वारिका किसे कहा जाता है?
सेम मुखेम

3.उत्तराखंड में फिल्म विकास परिषद की स्थापना कब की गई?
2016

4.प्रसिद्ध वंशी नारायण का मंदिर किस जनपद में है
चमोली

5.गढ़वाल का दिल्ली किसे कहा जाता  है?
श्रीनगर

6.वीरांगना मछली  प्रजनन केंद्र कहां है?
गोपेश्वर चमोली

7.चाय  शीला बुग्याल  किस जनपद में है?
उत्तरकाशी

8.घोड़ाखाल सैनिक स्कूल की स्थापना कब हुई?
1966

9.प्रसिद्ध अनी मठ कहां स्थित है ?
वृद्ध बद्री

10.अंग्रेजों द्वारा रायबहादुर की पदावली से किसे नवाजा गया था?
सोबन सिंह जीना

उत्तराखंड का अकबर किसे कहते हैं?
कीर्ति शाह

उत्तराखंड में वर्तमान का जिम कार्बेट किसे कहा जाता है?
लखपत सिंह रावत 

उत्तराखंड का  मिनीकार्बेट किसे कहा जाता है?
ठाकुर  दत्त जोशी

तिमली  किस जनजाति का लोक गीत है?
भोटिया

केदारनाथ वन्य जीव विहार  क्षेत्रफल कितना है और यह किस जनपद में है?
चमोली और रुद्रप्रयाग 975,20

सबसे छोटा वन्य जीव विहार और उसका क्षेत्रफल
मसूरी  वन्य जीव विहार  देहरादून 11.00

सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान कौन सा है?
गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान 2390.02

सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान कौन सा है?
मसूरी राष्ट्रीय उद्यान 87.50  

देहरादून जनपद की स्थापना कब हुई?
1817

पौड़ी जनपद की स्थापना कब हुई?
1840

अल्मोड़ा जनपद की स्थापना कब हुई?
1891

उत्तराखंड में ब्रह्म कमल की कुल कितनी प्रजातियां  है?
24

ब्रह्मा कमल कितनी ऊंचाई में पाया जाता है?
4800 से600  मीटर

ब्रह्म कमल का खेलने का समय कौन सा है ?
सितंबर से जुलाई


मोनाल का प्रमुख आहार क्या है
आलू

राज्य पक्षी मोनाल कितनी ऊंचाई पर पाया जाता  है
2500 से 5000  की ऊंचाई में

कस्तूरी   मृग कितनी ऊंचाई पर पाया जाता है
3600 से4400  ऊंचाई पर

बुरांश  के फूल कितनी ऊंचाई पर पाए जाते हैं
1500 से  4000 मीटर की ऊंचाई पर

 फड़का नोली  खोज कब की गई और किसने की?
1985 यशोधर मठपाल

पेट साल की खोज कब की गई?
1989

कत्यूरी काल में घटपाल क्या थे?
गिरी द्वार रक्षक

कत्यूरी काल में नरपति क्या था?
नदी घाटों पर आवागमन की सुविधा कर कर वसूली करने वाला

दंड पक्षिक, दंड नायक महा दंडनायक क्या  थे?
पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी

कार्तिकेय पूर्व विषय कहां से कहां तक  था?
जोशीमठ से गोमती तक

अंतराग  विषय कहां से कहां तक था?
भागीरथी तथा अलकनंदा के मध्यवर्ती तक

एशाल  विषय कहां से कहां तक था?
भागीरथी तथा यमुना के मध्यवर्ती 

मायापुर हॉट कहां से कहां तक फैला है?
हरिद्वार से  सतजुल  से  गंडक तक 

किसके अनुसार सोमचंद चंद्र वंश का संस्थापक है?
एटकिंसन के अनुसार

रिपोर्ट ऑन कुमाऊँ एंड गढ़वाल पुस्तक के रचयिता कौन हैं?
श्री  डब्लयू  फ्रेजर

किंगडम ऑफ नेपाल पुस्तक किसने लिखी है?
फ्रांसिस हैमिल्टन

फ्लोरा ऑफ कुमाऊं किसकी पुस्तक है?
नार्मेन  गिल


  कुमाऊं गवर्नमेंट गार्डन की स्थापना कब और कहां हुई?
22 मार्च 1909 जोली कोर्ट नैनीताल

चौबटिया उद्यान की स्थापना कब  हुई?
1869

हिल् साइड सेफ्टी कमेटी की स्थापना कब हुई?
1867

शेरवुड कॉलेज स्कूल की स्थापना कब हुई?
1867

ऑल  सेंटस  कॉलेज की स्थापना कब हुई?
1869

बिरला विद्या मंदिर का पुराना नाम क्या है और इसकी स्थापना कब हुई है?
स्टोनले स्कूल 1877

वेलेजली  हाई स्कूल की स्थापना कब हुई ?
1884

सेंट जोसेफ कॉलेज कब स्थापित हुआ?
1888

पादरी  विलियम बटलर ने नैनीताल में प्रथम मैथोडिस्ट चर्च की  स्थापना कब की?
1858


5 Feb 2021

googel play

Googel play
गूगल प्ले क्या है
गूगल प्ले का दूसरा नाम प्ले स्टोर है जहां से हम ऐप डाउनलोड करते हैं और ई बुक मूवीस गेम गूगल प्ले से ही डाउनलोड करते हैं कुछ ऐप इसमें   मुफ्त हैं और कुछ ऐप को पैसों से खरीदा जाता है गूगल  मुख्यालय कैलिफोर्निया अमेरिका में है 
गूगल प्ले से एप्प कैसे खरीदें
गूगल प्ले से कुछ एप् को खरीदना पड़ता है ऐसे गेम ऐप्स यह एप फ्री नहीं होते इन्हें पैसे देकर खरीदा जाता है।

गूगल प्ले में रजिस्ट्रेशन  कैसे करें
अगर आप गूगल प्ले में रजिस्ट्रेशन होना चाहते हैं तो आपके पास एक ईमेल आईडी और उसका कौन गैलरी पासवर्ड होना चाहिए  जिससे आप गूगल प्ले में रजिस्ट्रेशन हो जाओगे  और  इसे आप इस्तेमाल कर सकते हैं आप यहां से कोई भी ऐप डाउनलोड कर सकते हैं और उनका इस्तेमाल कर सकते हैं।
गूगल प्ले या प्ले स्टोर से क्या-क्या डाउनलोड कर सकते हैं
यहां से हम मूवी ऐप ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं कुछ एप्स मूवी फ्री होती हैं और कुछ पैसों से खरीदी जाती है।
क्या गूगल प्ले से पैसा कमा सकते हैं?
हा  गूगल पे से पैसा कमा सकते हैं   जब हम कोई ऐप बनाते हैं उसे गूगल प्ले या प्लेस्टोर पर अपलोड करते हैं तो उसके बाद इस ऐप को बहुत से लोग डाउनलोड करते हैं जब आपको हजार  लोग डाउनलोड करते हैं   तू इसकी बात इस ऐप पर एक्स लगनी शुरू हो जाती है इससे अच्छा खासा पैसा कमाया जा सकता है।
क्या गूगल प्ले में रिचार्ज करना पड़ता है
हां गूगल प्ले मेथी रिचार्ज करना पड़ता है  जब हम कोई पैसे से ऐप खरीदते हैं   तो उसके लिए हमें गूगल प्ले  रिचार्ज करना पड़ता है।





3 Feb 2021

ऑनलाइन पैसे कैसे कमाएं

ऑनलाइन पैसे कैसे कमाए
आजकल बहुत से लोग ऑनलाइन पैसा कमाना चाहते है। ज्यादा से ज्यादा लोग घर बैठे ऑनलाइन पैसा कमाना चाहते है आजकल लोग अतिरिक्त आय के बारे में सोचते है ताकि अपनी सारी आवश्यकता पूरी कर सके। ऑनलाइन पैसा एक छात्र ओर एक घरेलू महिला या फिर वे लोग जो घर बैठकर पैसा कमाना चाहते है वे है ऑनलाइन पैसे कमाने के बारे में सोचते है।
ऑनलाइन पैसा कैसे कमा सकते है
हा हम सभी लोग घर बैठे ऑनलाइन पैसा कमा सकते है। ऐसे बहुत से रास्ते है  जिससे हम ऑनलाइन पैसा कमा सकते है।
हम आज ऑनलाइन पैसे केसे कमा सकते है उसके बारे में बताने जा रहे है।
ऑनलाइन पैसे कमाने का पहला उपाय
YouTube video  - हा आप यूटयूब में वीडियो बनाकर ऑनलाइन पैसे कमा सकते है। लेकिन यूट्यूब वीडियो में  पैसे कामने से पहले कुछ शर्ते है जैसे
यूट्यूब पर आपको अपना चैनल बनाना  होगा उसके बाद उसमें  वीडियो बनाकर अपलोड करनी होगी।  यूट्यूब से आप तब  तक पैसे नहीं कमा सकते है जब तक आपके 1000 हजार सब्सक्राइबर ओर 4000 हजार समय  पूरा ना हो जाए तब तक आप यूट्यूब से पैसा नहीं कमा सकत है। अगर आप यूट्यूब की इस शर्त को पूरा के लेते है  ओर  साथ ही वीडियो कॉपी नहीं  करनी होगी इससे आपके ऊपर कॉपीराइट का आरोप लग जाएगा जिससे आपका चेनल मॉनोटाइज नहीं होगा
ये शर्त आप पूरी कर लेते है तो आपका यूट्यूब चैनल मोनोटाइज हो जाएगा ओर फिर आपको गूगल एड्सेन के लिए अप्लाई करना होगा उसके बाद आपकी वीडियो में एड्स लगेंगे जिससे आप ऑनलाइन पैसे कमा सकते है।
ऑनलाइन पैसे कमाने का दूसरा तरीका
Freelancer,com से ऑनलाइन पैसा कमा सकते है यहां घर बैठे ऑनलाइन पैसे आराम से कमा सकते है आप अपनी मर्जी का काम कर सकते है।
चलो  बात करते है कि यहां से आप ऑनलाइन पैसा ओर वर्क फ्रॉम होम कैसे कर सकते है सबसे पहले आप को www. Freelancer.com में  रजिस्टर करना होगा उसके बाद आपको आपनी प्रोफ़ाइल बनानी होगी ओर उसमें आपनी सारी स्किल्स भरनी होगी जो आपके पास है। आपको एक मेल आएगी जिसमें आपको बीड लगानी होगी। यहां आप कोई भी काम कर सकते है जैसे डाटा एंट्री , टाइपिंग, वेबसाइट बनाना, वीडियो बनाना, इंग्लिश ओर अन्य भाषा में परिवर्तन, एचटीएमएल, आदि काम कर सकते है। यहां से आप महीने के लाखो रुपए घर बैठे ऑनलाइन कमा सकते है वो भी  डॉलर में।
तीसरा ऑनलाइन पैसे कमाने का तरीका
फीवर आप इस वेबसइट से भी अच्छा वो भी घर बैठे पैसा कमा सकते है आप यहां  इंस्तग्राम यूटयूब के बैनर बनाकर यहां सेल कर सकते है  ओर साथ ही आपनी मर्जी के पैसे कमा सकते है ओर वो भी घर बैठे।  इसके लिए आपको फीवर की वेबसाइट में जाना होगा ओर वहा जाके अपनी प्रोफाइल ओर सेलर अकाउंट बनाना होगा यहां कई लोग आपको कम दे सकते है।
चोथा ऑनलाइन पैसे कमाने का तरीका
पिक्सा बे  अगर आप फोटो अच्छी खीच लेते है ओर आप आसानी से पैसे कमाना चाहते है तो आप फोटो बेचकर ऑनलाइन अच्छा पैसा कमा सकते है इस वेबसाइट में  ऑनलाइन फोटो प्रतियोगिता होती है जिसका अच्छा इनाम मिलता है ओर यहां आप अपनी खींची हुई फोटो भी डाल सकते है ओर पैसे कमा सकते है।
ईमेल पड़कर घर बैठे ऑनलाइन पैसे कमाए
ये सबसे अच्छा ओर सबसे सरल उपाय है घर बैठे ऑनलाइन पैसे कमाने का । आप आसानी से ईमेल पड़कर पैसे कमा सकते है वो भी आसानी से  पर केसे चलो इस विषय पर बात करते है आप ये केसे कर सकते है।
क्लिक गेनी एक वेबसाइट है जहां आप ईमेल पड़कर आसानी से पैसे कमा सकते है आपको इस वेबसाइट में जाना होगा फिर रजिस्टर करना होगा उसके अपना ईमेल चेक करना होगा आपको एक रोज ईमेल आएगी ओर आपको उसे ओपन करना होगा । बस इतना ही  इसमें आपको  डॉलर में पैसे मिलेंगे अगर आप आपने दोस्त को रेफर करते है तो आपको एक डॉलर मिलेगा ये सबसे आसान तरीका है पैसे कमाने का।

ऑनलाइन पैसे कमाने का पांचवा तरीका 
 मियुचल फंड स्टॉक मार्केट से ऑनलाइन घर बैठे पैसे कमाए आप ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं और ऑनलाइन पैसा कमाना चाहते हैं तो आपको अब थोड़ा निवेश करना पड़ेगा मित्र खंड में यहां से आपने पैसे अपने पैसों को डबल कर सकते हैं हर ऑनलाइन पैसे कमा सकते हैं ₹100 तक का निवेश कर सकते हैं और उसे 1 साल तक को निवेश करते रहे इससे आप हजारों रुपए कमा सकते हैं यह सबसे आसान तरीका है पैसे कमाने का वह भी ऑनलाइन  ऑनलाइन निवेश करने में कोई परेशानी नहीं है क्योंकि यह भारत सरकार द्वारा निर्मित है यहां आप स्टॉक खरीद सकते हैं या म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं या गोल्ड बाय कर सकते हैं यहां हजारों लोग आकर निवेश करते हैं और कुछ लोग इस चौक को बाई कटरा कुछ लोग सेल करते हैं लोग इतने अमीर बन गए हैं यह सबसे आसान तरीका है ऑनलाइन पैसे कमाने का।
आसान तरीका है पैसा कमाने का वह भी ऑनलाइन घर बैठे सुपर पे  जहां आप वीडियो देख कर  और सर्वे करके और इसको अपने दोस्तों में भेज सकते हैं और यहां से आप  ऑनलाइन पैसे कमा सकते हैं वह भी डॉलर में यहां पर कई प्रकार के सर्वे होते हैं और उसके लिए पैसे दिए जाते अगर आप सर जी पूरा कर लेते तो आपको $1 से लेकर $10 तक मिल सकते हैं
लिखकर ऑनलाइन घर बैठे पैसे कमाएं
अगर आप घर बैठे ऑनलाइन पैसा कमाना चाहते हैं आपको ब्लॉगिंग शुरु कर देनी चाहिए यहां पर बहुत से लोग  ऑनलाइन पैसे कमा रहे हैं वह भी घर बैठे इसके लिए क्या करना है
आपको इसके लिए आर्टिकल लिखने पड़ेंगे इससे आप अच्छा  पैसा कमा सकते हैं आपने 25 से 30 आर्टिकल लिखते हैं तू आप गूगल    एप्सके लिए अप्लाई कर सकते हैं और आप यहां से लाखों में रुपए कमा सकते हैं वह भी घर बैठे ऑनलाइन बस आपको इसके लिए थोड़ा सा मेहनत करनी पड़ेगी और आप आसानी से पैसे कमा सकते हैं यहां से लाखों लोग तो लिखकर पैसा कमा रहे हैं वह भी घर बैठे अगर आप चाहते हैं आप भी ऑनलाइन पैसे कमाए घर बैठे तो आपको ब्लॉकिंग शुरू कर देनी चाहिए इसके लिए आपको अपनी साइड बनानी पड़ेगी जिसने आपको अपने आर्टिकल पब्लिश करने पड़ेंगे






यह सबसे आसान तरीके हैं ऑनलाइन पैसे कमाने के आप इन तरीकों से घर बैठे ऑनलाइन पैसे कमा सकते हैं वह भी कम मेहनत में इससे आसान तरीका कोई और नहीं हो सकता असली आपको इन सभी तरीकों का अपने जीवन में इस्तेमाल करना चाहिए  जिससे आप ऑनलाइन पैसे कमा सकते हैं वह भी घर  बैठे 
धन्यवाद